बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- डाटा मॉडल अर्थात् आँकड़ा मॉडल से आप क्या समझते हैं? इसके कार्य, संकल्पना और उपागम का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
(Data Modal)
डाटा मॉडल का अर्थ है तार्किक परिभाषाओं या नियमों का सेट जिनके आधार पर आँकड़ों को संगठित किया जा सकता है। धरातलीय सूचनाओं तथा उनके लक्षणों को प्रदर्शित करने के क्रम में धरातलीय आँकड़ों के संचालन के लिए आँकड़ा मॉडल का उपयोग किया जाता है। 'आँकड़ा मॉडल' वास्तविक संसार के भौगोलिक विशेषताओं तथा कम्प्यूटर पर प्रदर्शित उन्हीं विशेषताओं के मध्य कड़ी का काम करता है। आँकड़ा मॉडल, आँकड़ा संरचना का एक संकल्पनात्मक प्रदर्शन है। आँकड़ा संरचना के अन्तर्गत आँकड़ों, वस्तुओं में, आँकड़ों और सहसम्बन्ध होता है। यह सहसम्बन्ध आँकड़ों व वस्तुओं के संचालन के नियमों को संचालित करता जाता है।
किसी घटना या भूभाग से सम्बन्धित किन आँकड़ों की आवश्यकता होती है तथा उन्हें भौगोलिक सूचना प्रणाली प्रक्रिया में किस प्रकार से व्यवस्थित किया जा सकता है जैसे कार्यों के लिए आंकड़ा मॉडल की ही आवश्यकता होती है।
आँकड़ा मॉडल, हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर दोनों की भाँति स्वतन्त्र होता है। डाटा मॉडल सांसारिक घटनाओं के आँकड़ों को प्रदर्शित करता है, जिसे प्रयोगकर्ता द्वारा स्वयं एकत्र किया जाता है। यह सांसारिक घटनाओं एवं प्रक्रियाओं की संकल्पना के मध्य एक कड़ी का काम करता है।
"मॉडल, वास्तविक संसार के घटना चक्रों की सरलीकृत व्याख्या करने का तरीका है"।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि "मॉडल तार्किक वर्णन, विश्लेषण सम्बन्धी प्रक्रिया तथा पद्धति का एक ऐसा मिश्रित रूप है जिसका प्रयोग आँकड़ों के संचालन में परिणामों को निर्गत करने के लिए किया जाता है"।
भौगोलिक सूचना प्रणाली में मॉडल किसी की प्राकृतिक अथवा सामाजिक घटनाओं के धरातलीय वितरण की व्याख्या करने के लिए एक तार्किक यन्त्र की भाँति है।
आँकड़ा मॉडल के कार्य (Functions of Data Model)
इस प्रकार आँकड़ा मॉडल के अंतर्गत निम्न कार्य प्रमुख रूप से किये जाते है-
(1) ढाँचा तैयार करना - आँकड़ों की ऐसी संरचना तैयार करना जिसे कम्प्यूटर पर आँकड़ों का संग्रह, पुनर्प्राप्ति तथा परिचालन सरलतापूर्वक किया जा सके। आँकड़े संरचना मॉडल का केन्द्र बिन्दु होता है। मॉडल की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आँकड़ों की संरचना किस स्तर की है जो वास्तविक संसार की घटनाओं एवं विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं।
(2) सार निकालना - मॉडल वास्तविक संसार की विशेषताओं को दर्शाते हैं जो विशेष उपयोगों में अनुभव किये जाते हैं। वास्तविक दृश्य संसार तथ्यों से अतिरिक्त सूचनायें प्राप्त की जाती हैं तथा उनका सार निकालकर अन्य उपयोगों में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी प्रदेश की भूमि का उपयोग मानचित्र जिसमें भूमि उपयोग को अलग-अलग चिन्हों तथा संकेतों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रदेश के मानचित्र में जिला स्तर की भी सूचनायें ज्ञात की जा सकती हैं।
(3) संगठित करना - आँकड़ा मॉडल आँकड़ों को क्रमिक रूप से वर्गीकृत करने, फाइलों का निर्माण करने तथा उन्हें संगठित करने का कार्य करता है।
मॉडल की संकल्पना (Concept of Model)
मॉडलिंग में, जीआईएस एक शक्तिशाली तथा संवेदनशील यन्त्र की भाँति कार्य करता है। इसमें आँकड़ों के तर्कों की क्रमिक प्रक्रिया की जाती है तथा एक चर से दूसरे चर में सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। सामान्यीकरण, विशिष्टीकरण और भविष्यवाणी के लिए मॉडलिंग को ही उपयुक्त माना जाता है। यह योजनाओं एवं विकास कार्यों को संचालित करने में सहायक होते हैं।
मानचित्र में कई अवयव जैसे कि अपवाह तन्त्र, बसाव आदि ऐसे होते हैं जिनमें सामन्जस्य स्थापित करना सरल कार्य नहीं होता। इसके लिए मॉडलिंग ही श्रेष्ठ विकल्प है। मॉडलिंग जटिल तत्वों को सरलीकृत एवं एकीकृत कर किसी चर का प्रतिरूप ( Pattern) निर्धारित करने में सहायक होते हैं।
यहाँ पर मॉडल एवं मॉडलिंग में अन्तर स्थापित करना आवश्यक है। आँकड़ा संग्रह एवं संचालित करने का एक ढाँचागत आधार है जिसमें आँकड़ों को व्यवस्थित किया जाता है। इसके विपरीत मॉडलिंग आँकड़ों को प्रक्रियन करने, संचालित करने तथा परिणाम घोषित करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को कहते हैं। उदाहरण के लिए, ढाल विश्लेषण विधि एक मॉडल हैं परन्तु हम अपने अध्ययन में ढाल विश्लेषण मॉडल की अपेक्षा ढाल विश्लेषण व उसके परिणामों पर अधिक जोर देते हैं जो मॉडलिंग कहलाती है।
मॉडलिंग के उपागम (Approaches of Modelings)
मॉडलों को वर्गीकृत करने के कई उपागमों का उपयोग किया जाता है। इनमें निम्न दो उपागम विधियाँ प्रमुख हैं-
(i) आगमन विधि (Inductive Method)
(ii) निगमन विधि (Deductive Method)
आगमन विधि प्राकृतिक रूप से प्रयोगों पर आधारित होती है तथा जो सामान्य नियमों को प्रतिपादित करती है। इसके विपरीत निगमन विधि प्रायः भौतिक नियमों पर आधारित होती है जो स्वतः ही सिद्ध प्रमाणित होते हैं। यहाँ पर मॉडल का परीक्षण करने के लिए प्रायोगिक आँकड़ों का उपयोग किया जाता है।
मॉडल निर्माण में परिस्थितियों के अनुरूप एवं तकनीकी विकास के साथ-साथ परिवर्तन की आवश्यकता होती है। भौगोलिक सूचना प्रणाली नये-नये मॉडल का निर्माण करना, उनका परीक्षण करना तथा उनका उपयोग करना भौगोलिक सूचना प्रणाली के अध्ययन का रोचक विषय है। वैज्ञानिक, शोधकर्ता, उपयोगकर्ता या अन्य अध्ययन कर्ता भौगोलिक सूचना प्रणाली में इन मॉडलों के उपयोग से कई प्रकार के निष्कर्ष निकालते हैं जो व्यवहारिक होते हैं तथा कई समस्याओं का समाधान करते हैं।
भविष्यवाणी मॉडलिंग में विशेषज्ञ आँकड़ों एवं तथ्यों को एकत्र कर पुनः इसे संख्यिकीय मॉडल में परिवर्तित कर आँकड़ों का परीक्षण करते हैं। एक बार आँकड़ों का परीक्षण होने के पश्चात् इनसे पुनः नये आँकड़े प्राप्त किये जाते हैं एवं परिणामों के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। मॉडलिंग का प्रयोग बाढ़ क्षेत्रों के विस्तार, तूफान या चक्रवात की गति एवं विस्तार, भूस्खलन, मृदा अपरदन, मौसम पूर्वानुमान इत्यादि के लिए किया जाता है। जी०आई०एस० के साथ जोड़ने पर इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। यह एक वैज्ञानिक तन्त्र के रूप में सहायक होता है। यहाँ पर जी०आई०एस० में उपयोग किये जाने वाले मॉडलों का उल्लेख किया गया है।
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